गुरुवार, 3 नवंबर 2011

लोकरंग की आंच : सुभाष चन्द्र कुशवाहा: साहित्य में आरक्षण की बात या आरक्षण का विरोध

लोकरंग की आंच : सुभाष चन्द्र कुशवाहा: साहित्य में आरक्षण की बात या आरक्षण का विरोध: अजीब विडंबना है कि समाज के सृजनात्मक क्षेत्रों में घटकवाद, क्षेत्रवाद, संप्रदायवाद और जातिवाद ने न केवल गहरी पैठ बनाई है अपितु तथाकथित मार्क...

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